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अक्सर जब हम जिंदगी या फिर किसी और चीज़ के रेस मैं भागते हैं तोह फिर पहले पेहले तोह बोहत जोश मैं स्पीड मैं दौड़ते हैं लेकिन एन्ड लाइन तक पहुंच ते पहुंचते हमारा जोश ठंडा होजाता, और हम फिर धीरे भागने लगते हैं।
जिंदगी का भी रेस कुछ इस प्रकार होता है। जब हम किसी चीज़ को करने केलिए ठान लेते हैं, तब हम पहले पेहले काफी जल्दी जल्दी काम करते हैं लेकिन धीरे धीरे वक़्त बीतने के साथ साथ हमारा पूरा जोश ठंडा होजाता है।
और हमें मंजिल भी नहीं नजर आरहा होता है। तोह फिर ऐसे स्स्थिति मैं हम फिर उस काम को बिच ,मैं हिन् छोड़ देते हैंतो। अगर प्रॉब्लम यह है तोह फिर इसका समाधान क्या है ?
आइये वह भी डिसकस कर लेते हैं।
धीरे चालो मगर रुको नहीं -
अक्सर जब हम कोई चीज़ को शुरू करते हैं तोह फिर हम काफी जोश ,मैं आजाते हैं, और इसी जोश के चक्कर मैं जब हमें रिजल्ट नहीं दीखता है तब हम काम को क्विट भी कर देते हैं।
और यही वजह होता है की हम फिर से दोबारा उस चीज़ को try नहीं करते हैं। और जिंदगी भर हार जाने का दुःख मानते रहते हैं।
तोह अगर यहाँ से हम देखें तोह फिर हमें यह सलूशन दिख रहा है की हमें शुरुवाती समय मैं धीरे से स्टार्ट करना है लेकिन अंत तक खेलना है।
हमें बिच मैं हिन् क्विट नहीं करना है। अगर मंजिल दूर दीखता है तोह फिर उसका पीछा करो कभी ना कभी तोह मंजिल मिल हिन् जायेगा। लेकिन एक बात हमेशा याद रखना दोस्तों की अगर सच मैं आपको सफलता चाहिए तोह फिर मेहनत तोह करनी पड़ेगी।
इसके सिबाय और कोई रास्ता नहीं है।
conclusion
असा करता हूँ आपको कुछ नया जरूर सिखने को मिला होगा और कुछ नया जानने को भी मिला होगा, इसी तरीकेके और भी नया चीज़ जानने केलिए हमारे साथ जुड़े रहिये।
अगर आपको किसी नए बिसय आर्टिकल चाहिए तोह फिर आप हमें निचे कमेंट करके बता सकते हैं।
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