हम अक्सर यह सोचते रहते हैं कि जब मेरे पास वो चीज़ आ जायेगा या फिर जब मैं फलाना फलाना चीज़ हासिल कर लूंगा उसके बाद से में खुस रहूंगा ।
हम अक्सर ऐसा हैं सोचते हैं । लेकिन आप एक बात सोचो कि जब भी हम ऐसा कुछ सोचते हैं कि जब मेरे पास वो चीज़ आजायेगा उसके बाद से में खुस रहूंगा ।
लेकिन आप प्रक्टिकल्ली सोचो कि क्या हैम उसके बाद भी खुस खुस रहते हैं जिसके बारेमें आप सोच रहेथे की यह चीज़ जब मैं हासिल कर लूंगा उसके बाद से में खुस रहूंगा । हां चलो अगर रहते भी हैं तोह कितने दिन तक खुस रहते हैं । एक दिन दो दिन या फिर एक महीना कितने दिन ।
चलो में अपनी बताता हूँ जब हमारे घर में मोबाइल फ़ोन नहीं था उस वक़्त में दिन भर खाली यही सोच रहा था कि हमारे घर में कब नया स्मार्टफोन आएगा और यही सवाल में अपने पापा को रोज़ पूछ पूछ के उनके सर खा जाता था ।
लेकिन जब हमारे घर में फ़ोन अगया उसके बाद 1 से 2 महीने तक मसीन दिन भर उस मोबाइल के पीछे लगा हुआ था । लेकिन जब 5-6 महीने गुज़र गए उसके बाद मुझे बोर लगने लगा । उसके बाद में सोचने लगा कि अब घर में नया computer कब आएगा ।
फिर उसको लेकर में अपने पापा मम्मी का रोज़ सर खाता था । लेकिन जिस दिन घर पे कंप्यूटर अगया उसके अगले दिन महीने वो बागी बोर लगने लगा । फिर मैंने सोचा कि यार घर आए गाड़ी कब आएगा । अगर वो आजाये तोह फिर मजा आजाये ।
और यह सिलसिला चलता हीं रहा । और यह खाली तबका बात नहीं है उसके बाद भी जब मैं स्कूल में था तब भी यही सोचता था कि जब मेरे इतने परसेंटेज आएंगे उसके बाद जिन्देगि में सब सेट होजायेगा । कहने का तात्पर्य यह है कि तब तक आपके जिन्देगि में कुछ ना कुछ ख्वाइशें रह हीन जाएगा ।
और एक जो कड़वा सच है वो यह है कि आप जिन्देगि में सब कुछ experience नहीं कर सकते । लेकिम दूसरा जो सच है वो यह है कि आप इसी एक जिन्देगि में बोहत कुछ एक्सपीरियंस कर सकते हो । इसीलिए प्रेजेंट में जियो और आज का और अभी का मजा लो यार काल क्या पता क्या होगा ।
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